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Wednesday 15 March 2017

अवशेष

अवशेष बचे हो कुछ मुझमें तुम!
विघटित होते अंश की तरह,
कहीं दूर भटक जाता है ये अर्धांशी,
अवशेषों के बीच कभी बज उठती कोई संगीत,
अतीत से आते किसी धुन की तरह...

विखंडित अवशेष लिए अन्तःमन में,
बचा हूँ कुछ अर्धांश सा शेष,
बीते से मेरे कुछ पल, मैं और इक दिवा स्वप्न!
धुंधली सी तेरी झलक के अंश,
और तेरी चुंबकीय यादों के अमिट अवशेष!

संवेदनाओं के अवशेषों के निर्जीव ढेर पर,
कहीं ढूंढता हूँ मैं तेरा शेष,
इक जिजीविषा रह गई है बस शेष,
जिसमें है कुछ व्याकुल से पल,
और तेरे अपूर्ण प्रेम के अमिट अवशेष!

Sunday 22 May 2016

बदली सी फिजाँ

बदली सी है फिजाँ, अब इस शहर की मेरी,
हर शख्स ढूँढ़ता है यहाँ, इक आशियाँ अलग सी,
इक नाम मेरा है खुदा, चप्पे-चप्पे पे इस शहर की,
आशियाँ तो है मेरा, जर्रा जर्रा इस शहर की।

बदले हैं बस लोग, बदली कहाँ ये गलियाँ,
चैनो-ओ-शुकुन बदले हैं, गम ही गम है अब यहाँ,
चेहरों पे चेहरे हैं लगे, जुदा मुझसे मेरा साया यहाँ, 
दिल के करीब थे जो, गुमसुदा वो मुझसे यहाँ।

बदलते मौसमों से, बदले हैं अब रिश्ते यहाँ,
मुरझा चुके है फूल सब, रिश्तों के धागे लहुलुहाँ,
हर धड़कते दिलों के अन्दर, दर्द के सैकड़ों निशाँ,
लब्जों में छुपे हैं खंजर, मन से उठता है धुआँ।

सोचता हूँ आज मैं, कब लोग समझेंगे यहाँ,
रिश्तों की भीनी खुश्बुओं में, हम साँस लेते हैं यहाँ,
अंश नई कोपलों से कोमल, लहलहाते हैं अपने यहाँ,
हम धूल हैं इस शहर की, ये शहर है आशियाँ मेरा।

Tuesday 3 May 2016

हँसते मेरे अंश

निशाँ मेरी अंश के बिखरेे कण-कण में लगते हैं यहाँ!

वक्त ने आज फिर से बदली हैं करवटें,
राहों ने मोड़ दी है फिर से जीवन की दिशाएँ,
बदला-बदला सा है सब कुछ आज यहाँ,
न जानें क्युँ आज फिर प्राणों में इक कंपन सी यहाँ।

वक्त ले आया फिर उसी जगह पर हमें,
किलकारियाँ भर हँस पड़ते थे अंश जहाँ पर मेरे,
थामे उँगलिया चल पड़ते थे कहीं दिशाहीन,
अाज वो दिशाएँ दिख रही हैं प्रशस्त जीवन के यहाँ।

यादों के उस बस्ती में लाया वक्त हमें,
उन अनुभूतियों ने नए ढ़ंग से फिर सहलाया हमें,
नन्ही उँगलियाँ मेरे अंश के मन में हैं रवां,
मन में उठे हैं सुखद एहसासों के ज्वार फिर से यहाँ।

वक्त ने जगाया सुखद अनुभूतियों को नए सिरे से यहाँ!