टूटे पत्थरों के गीत, कोई क्यूं सुने....
ह्रदय के ज़ख्म सारे, गाकर गीत हारे,
हरे, ये ज़ख्म उभरे,
कौन, इन जख्मों को भरे!
टूटे पत्थरों के गीत, कोई क्यूं सुने....
रही जब तक, शिला, हर कोई मिला,
गिला, क्यूं ना करे,
लगाए कौन, मन पे पहरे!
टूटे पत्थरों के गीत, कोई क्यूं सुने....
तोड़ा था, उसी ने, जिसने यूं बिखेरा,
अधूरा, ये गीत मेरा,
वो सुने, ना, विलाप करे!
टूटे पत्थरों के गीत, कोई क्यूं सुने....
भर ही जाएं, ना कुरेदो ज़ख़्म कोई,
रहने दो, यूं ही पड़ा,
सह लूंगा, राह की ठोकरें!
टूटे पत्थरों के गीत, कोई क्यूं सुने....
बुलाएंगे ये कल, पुकारेंगे आह मेरे,
लुभाएंगे, ज़ख्म हरे,
देखें, कौन जख्मों को भरे!
टूटे पत्थरों के गीत, कोई क्यूं सुने....
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