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Saturday, 25 August 2018

अधूरा संवाद

करो ना कुछ बात, अभी अधूरा है ये संवाद.....

बिन बोले तुम सो मत जाना,
झूठमूठ ही, चाहे कुछ भी बतियाना,
या मेरी बातों में तुम खो जाना,
मुझको करनी है तुमसे, पूरी मन की बात,
अभी अधूरा है इक संवाद......

प्रिये, करो ना कुछ बात.....

भटका सा था मैं इक बंजारा,
तेरी ही पनघट पर था मैं तो ठहरा,
कुछ छाँव मिली मैं सब हारा,
बड़ी अद्भुद सी थी, उस छैय्यां की बात,
अभी अधूरा है इक संवाद......

प्रिये, करो ना कुछ बात.....

छाँव घनेरी, थी वो बरगद सी,
इक मंद बयार, वहीं थी आ ठहरी,
करता भी क्या अब मैं बेचारा,
उस बयार में थी, शीतल सी कोई बात,
अभी अधूरा है इक संवाद......

प्रिये, करो ना कुछ बात.....

अति लघु जुड़ाव जीवन का,
लधुत्तर फुर्सत के ये चंद लम्हात,
चुप चुप सी हो तुम क्यूं बोलो,
कह दो ना तुम, कुछ अनसूनी सी बात,
अभी अधूरा है इक संवाद......

प्रिये, करो ना कुछ बात.....

बिन बोले तुम सो मत जाना,
रिक्त कभी ना, ये झूला कर जाना,
इन बाहों का हो ना रिक्त शृंगार,
रिक्त ना रह जाए, आलिंगन की बात,
अभी अधूरा है इक संवाद......

करो ना कुछ बात, अभी अधूरा है ये संवाद.....