बादलों की, चपलता,
और, भीगे मेघों की, गर्जना के मध्य,
कुछ, तो है!
है उनको खबर,
कि, तय करना है उन्हें, एक लम्बा सफर,
उधर, इस छोर से, उस छोर तक,
हठीले, मोड़ तक,
टूटकर, कहीं बिखरेंगे वो,
बरस जाएंगे, मुस्कुराकर, तप्त धरा पर,
काम आ जाएंगे, किसी के,
प्यासे जो है!
बादलों की, चपलता,
और, भीगे मेघों की, गर्जना के मध्य,
कुछ, तो है!
वो, दे जाएंगे,
किसी सर, घनी सी, इक छांव क्षण भर,
सब कुछ, यूं दामन से, लुटा कर,
खुद को भुलाकर,
बस जाएंगे, उन्हीं की, सुप्त चेतना में,
विलख कर, विरह वेदना में,
तरपे जो हैं!
बादलों की, चपलता,
और, भीगे मेघों की, गर्जना के मध्य,
कुछ, तो है!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)