संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
आ इस क्षण मैं, तुझको अपनी इन बाहों का पाश दूँ.....
क्षण तेरा तुझसे है नाराज क्यूँ?
मन हो रहा यूँ निराश क्यूँ?
सब कुछ तो है रखा है इस क्षण में,
आ अपने सपनों में झांक तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
सुंदर ये क्षण है, इस क्षण ही जीवन है,
कल-कल बहता ये क्षण है,
तेरी दामन में चुपके रहता ये क्षण है,
आ इस क्षण अपनों के पास तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
फिर क्यूँ इस क्षण है उदास तू?
सांसें कुछ अटकी तेरी प्राणों में है,
कुछ बिंब अधूरी सी तेरी आँखों में है,
आ हाथों से प्रतिबिम्ब निखार तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
स्वर आशा के इस क्षण हैं,
तेरी सांसों में भी सुर के कंपन हैं,
मन वीणा है मन सितार है,
आ आशाओं के भर आलाप तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
आ इस क्षण मैं, तुझको अपनी इन बाहों का पाश दूँ.....
आ इस क्षण मैं, तुझको अपनी इन बाहों का पाश दूँ.....
क्षण तेरा तुझसे है नाराज क्यूँ?
मन हो रहा यूँ निराश क्यूँ?
सब कुछ तो है रखा है इस क्षण में,
आ अपने सपनों में झांक तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
सुंदर ये क्षण है, इस क्षण ही जीवन है,
कल-कल बहता ये क्षण है,
तेरी दामन में चुपके रहता ये क्षण है,
आ इस क्षण अपनों के पास तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
फिर क्यूँ इस क्षण है उदास तू?
सांसें कुछ अटकी तेरी प्राणों में है,
कुछ बिंब अधूरी सी तेरी आँखों में है,
आ हाथों से प्रतिबिम्ब निखार तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
स्वर आशा के इस क्षण हैं,
तेरी सांसों में भी सुर के कंपन हैं,
मन वीणा है मन सितार है,
आ आशाओं के भर आलाप तू,
संग बैठ मेरे, आ पल दो पल को पास तू!
आ इस क्षण मैं, तुझको अपनी इन बाहों का पाश दूँ.....
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