Thursday 6 October 2016

दस्तक देते पल

दस्तक देते हैं कुछ पल बीते वक्त के तहखाने से ....

ऐ वक्त के बहते हुए अनमस्क से साये,
लघु विराम दे तू अपनी यात्रा को,
देख जरा छीना है कैसे तूने उन लम्हों को,
सिमटी हैं उन लम्हों में ही मेरे जीवन की यादें,
तू लेकर आ यादों के वो घनेरे से छाये,
तेरी तहखानों में कैद हुए वो पल, मुझको लौटा दे.....

ऐ वक्त के बहते हुए अनवरत से धारे,
खोई तेरी धारा में, चपलता यौवन की मेरी,
बदली है काया, बदली सी सूरत है मेरी,
मायने बदल गए हैं रिश्तों के इन राहों में तेरी,
छूट गई राहों में कितने ही साँसों की डोरी,
दस्तक देते उन लम्हातों के पल, मुझको लौटा दे.....

झाँक रहे है वो कुछ पल बीते वक्त के तहखाने से ....

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