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Sunday 29 May 2016

मधुमय मुक्ताकाश

जीवन को मधुमय मधुमास बन जाने दो....

करुणा के भावमय मुक्ताकाश पर,
स्नेह का असीम विस्तार हो जाने दो,
जहाँ मुक्त हो हृदय के कंपन,
करुण प्रेम का प्रगाढ़ आभाष हो जाने दो,

जीवन को मधुमय मधुमास बन जाने दो....

कल्पना के विचरते मुक्ताकाश पर,
मानस पटल के विहग को उड़ जाने दो,
जहाँ विचरती हों कल्पनाशीलता,
मन की आशाओं को पंख लग जाने दो,

जीवन को मधुमय मधुमास बन जाने दो....

अभिलाषा के अनंत मुक्ताकाश पर,
विपुल आकांक्षाओं को प्रबल हो जाने दो,
जहाँ आसक्ति अनुराग हो मन में,
अंतःकरण के प्रसून प्रष्फुटित हो जाने दो,

जीवन को मधुमय मधुमास बन जाने दो....

Sunday 24 January 2016

श्रृष्टि की मादकता

मादकता थोड़ी सी यौवन की,
उन्माद थोड़ा सा मधु मादकता का,
आज मन प्रांगण में भर आया,
संग श्रृष्टि की मादकता के,
आज मैं भी मद थोड़ा सा पी पाया।

मधुरस थोड़ी सी जीवन की,
शृंगार किरणों संग जीवन यौवन का,
उन्माद उर झरनों में भर लाया,
संग श्रृष्टि की सर-सरिता के,
आज झरनों की मादकता मैंने पाया।

बिखेरे हैं किसनें मधुरता के क्षण,
मधु मादकता पी उल्लासित जीवन,
किसने मादकता मलयानिल पर बिखराया,
संग श्रृष्टि की उमड़ी मस्ती के,
आज मादकता संग थोड़ा सा जी पाया।

Friday 22 January 2016

मधुपान


उन हसीन लम्हातों की खामोशियों मे,
आहट की कल्पना भी प्यारी है तुम्हारी,
रंग कई बिखर जाते हैं आँखों के सामने
डूब जाता है सारा आलंम गुजरिशों में।

दूर एक साया दिखता बस तुम्हारी तरह,
शायद सुन लिया है गीत मेरा तुमने भी,
पास आते हो तुम किसी मंजर की तरह,
गूंज उठते हैं संगीत के स्वर ख्यालों में।

याद बनकर जब कभी छाते हो दिल पर,
शहनाईयाँ सी बज उठती हैं विरानियों मे,
सैंकड़ों फूल खिल उठते मधुरस बरसाते,
झूम उठता हृदय का भँवर मधुर पान से। 

Thursday 21 January 2016

सांझ मधुक्षण

सांझ मधुक्षण बिखेरता मधु के मधुकण,
क्रीडा करते रंगों संग धरा के कण कण,
लहरों पर चाँदी की किरणों सम ये क्षण।

बाँध रहा मन को सांझ का मधुर पाश,
अन्जाना सा मोह महसूस हो रहा पास,
हल्की सी धूंध मे परिदृश्य खो रहा साँस।

हर्ष विमूढ़ हो उठता मन कभी इस पल,
मै विस्मय सा हो जाता देख पीले बादल,
प्रकाशमय सांझ अंकित धरा के आँचल।