Thursday 21 January 2016

सांझ मधुक्षण

सांझ मधुक्षण बिखेरता मधु के मधुकण,
क्रीडा करते रंगों संग धरा के कण कण,
लहरों पर चाँदी की किरणों सम ये क्षण।

बाँध रहा मन को सांझ का मधुर पाश,
अन्जाना सा मोह महसूस हो रहा पास,
हल्की सी धूंध मे परिदृश्य खो रहा साँस।

हर्ष विमूढ़ हो उठता मन कभी इस पल,
मै विस्मय सा हो जाता देख पीले बादल,
प्रकाशमय सांझ अंकित धरा के आँचल।

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