अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
विवश हैं, या हैं बेचारे?
किसी वचनवद्धता के मारे!
या अपनी ही प्रतिबद्धता से हारे!
हैं ये कटिबद्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
आबद्ध, हैं ये किसी से?
या हैं स्वतंत्र, रव के सहारे!
अनन्त भटके, किस को पुकारे!
हैं ये प्रलब्द्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
पल-भर, को ना ठहरे!
अनन्त राह, निर्बाध गुजरे!
चुप-चुप, गुमसुम से बेसहारे!
है ये विश्रब्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
अस्तब्ध, गतिमान ये!
विश्रब्ध, भरे विश्वास से!
निश्वांस, राह अनन्त ये चले!
हैं ये अदग्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
विवश हैं, या हैं बेचारे?
किसी वचनवद्धता के मारे!
या अपनी ही प्रतिबद्धता से हारे!
हैं ये कटिबद्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
आबद्ध, हैं ये किसी से?
या हैं स्वतंत्र, रव के सहारे!
अनन्त भटके, किस को पुकारे!
हैं ये प्रलब्द्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
पल-भर, को ना ठहरे!
अनन्त राह, निर्बाध गुजरे!
चुप-चुप, गुमसुम से बेसहारे!
है ये विश्रब्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
अस्तब्ध, गतिमान ये!
विश्रब्ध, भरे विश्वास से!
निश्वांस, राह अनन्त ये चले!
हैं ये अदग्ध धारे!
अनवरत, वक्त के प्रतिबद्ध धारे!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा