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Saturday, 2 March 2019

रुबरु

जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!

चंद लम्हे ही रहे, बस वो साथ मेरे,
ऐसा लगा, जैसे वो है कितने खास मेरे,
जग से गए, सोए एहसास मेरे
उम्र सारी, जीने लगे सारे ख्वाब मेरे!

जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!

रुबरु इक आवाज, हुआ साथ मेरे,
हर-पल गूँज बनकर, वो रहा साथ मेरे,
मधु सी मिठास, बातों में भरे,
अब न रहते उदास, सारे ख्वाब मेरे!

जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!

न जाने, ये क्या हुआ था साथ मेरे,
ऐसा लगा, मैं खुद न था अब साथ मेरे,
कुछ मेरा, अब न था पास मेरे,
रुबरु यूँ हुए, मुझसे सारे ख्वाब मेरे!

जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा