शब्दों से भरमाया, शब्दों से इतराया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
शब्द कई, शब्दों के प्रारूप कई,
हर शब्द, इक नया स्वरूप ले आया,
कुछ शब्द शीर्षक बन इतराए,
कुछ क्षितिज की ललाट पर चढ़ भाए,
क्षितिज विराट हो इतराया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
चुप सा क्षितिज, चहका शब्दों से,
कूक उठा कोयल सा, मधुर तान में गाया,
नाचा मयूर सा, लहराकर शर्माया,
कितनी ही कविताएँ, क्षितिज लिख आया,
क्षितिज मंत्रनाद कर गाया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
सुनसान क्षितिज, गूंजा शब्दों से,
पूर्ण शब्दकोष, क्षितिज पर सिमट आया,
गद्य, पद्य क्षितिज पे आ उतरे,
कवियों का मेला, लगा है अब क्षितिज पे,
क्षितिज महाकाव्य रच आया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
शब्दों से भरमाया, शब्दों से इतराया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
शब्द कई, शब्दों के प्रारूप कई,
हर शब्द, इक नया स्वरूप ले आया,
कुछ शब्द शीर्षक बन इतराए,
कुछ क्षितिज की ललाट पर चढ़ भाए,
क्षितिज विराट हो इतराया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
चुप सा क्षितिज, चहका शब्दों से,
कूक उठा कोयल सा, मधुर तान में गाया,
नाचा मयूर सा, लहराकर शर्माया,
कितनी ही कविताएँ, क्षितिज लिख आया,
क्षितिज मंत्रनाद कर गाया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
सुनसान क्षितिज, गूंजा शब्दों से,
पूर्ण शब्दकोष, क्षितिज पर सिमट आया,
गद्य, पद्य क्षितिज पे आ उतरे,
कवियों का मेला, लगा है अब क्षितिज पे,
क्षितिज महाकाव्य रच आया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
शब्दों से भरमाया, शब्दों से इतराया,
वो नभ पर, इक नया क्षितिज उभर आया...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार व धन्यवाद आदरणीय
Deleteबेहतरीन रचना 👌
ReplyDeleteहार्दिक आभार व धन्यवाद आदरणीय
Deleteआपके अपने ही अंदाझ़ में लिखी सुंदर अभिव्यक्ति सर।
ReplyDeleteसादर।
हार्दिक आभार व धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह!लाजवाब सृजन आदरणीय सर.
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार व धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर... लाजवाब।
हार्दिक आभार व धन्यवाद आदरणीय
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