Sunday 25 February 2018

फागुन में तुम याद आए

क्षितिज के आँचल हुए जब लाल, तुम याद आए.....

तन सराबोर, हुआ इन रंगों से,
तन्हा दूर रहे, कैसे कोई अपनों से?
भीगे है मन कहाँ, फागुन के इन रंगों से,
तब भीगा वो तेरा स्पर्श, मुझे याद आए.....

क्षितिज के आँचल हुए जब लाल, तुम याद आए.....

घटाओं पे जब बिखरे है गुलाल,
हवाओं में लहराए है जब ये बाल,
फिजाओं के बहके है जब भी चाल,
तब सिंदूरी वो तेरे भाल, मुझे याद आए....

क्षितिज के आँचल हुए जब लाल, तुम याद आए.....

नभ पर रंग बिखेरती ये किरणें,
संसृति के आँचल, ये लगती है रंगने,
कलिकाएँ खिलकर लगती हैं विहँसने,
तब चमकते वो तेरे नैन, मुझे याद आए....

क्षितिज के आँचल हुए जब लाल, तुम याद आए.....

फागुनाहट की जब चले बयार,
रंगों से जब तन को हो जाए प्यार,
घटाओं से जब गुलाल की हो बौछार,
तब आँखें वो तेरी लाल, मुझे याद आए....

क्षितिज के आँचल हुए जब लाल, तुम याद आए.....

12 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ४ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर पुरुषोत्तम जी,
    अभी तो वसंत आने में भी कुछ दिन हैं पर आप तो फागुन के रंग में रंग गए. कुमाऊँ में दीपावली के कुछ दिन बाद से ही होली की बैठकें लगना शुरू हो जाती हैं और अगले साढ़े चार महीनों तक रसिकगण उसकी मस्ती में सराबोर रहते हैं. आपकी रचना ने मेरे अल्मोड़ा प्रवास की याद ताज़ा कर दी.

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका आशीष मिला, फागुन हुआ। बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय गोपेश जी।

      Delete
  3. Replies
    1. सादर धन्यवाद आदरणीय अनुराधा जी। फागुन सुहावन हो।

      Delete
  4. फागुनाहट की जब चले बयार,
    रंगों से जब तन को हो जाए प्यार,
    घटाओं से जब गुलाल की हो बौछार,
    तब आँखें वो तेरी लाल, मुझे याद आए....

    लाजबाब.... सादर नमस्कार

    ReplyDelete
    Replies
    1. ह्रदय से आभार लिए फागुन की बयार। बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कामिनी जी

      Delete
  5. बहुत-बहुत शुक्रिया पथिक जी। रंगों भरे त्योहार की शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  6. घटाओं पे जब बिखरे है गुलाल,
    हवाओं में लहराए है जब ये बाल,
    फिजाओं के बहके है जब भी चाल,
    तब सिंदूरी वो तेरे भाल, मुझे याद आए....
    फागुन के रंगों में डूबी , बहुत ही सुंदर , अनुपम भावों से भरी रचना आदरणीय पुरुषोत्तम जी | सस्नेह शुभकामनायें |

    ReplyDelete
    Replies
    1. फागुन की बयार संग गुलाल भरा आभार आदरणीया रेणु जी।

      Delete