खामोश तेरी बातें,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
संख्यातीत,
इन क्षणों में मेरे,
सुवासित है,
उन्मादित साँसों के घेरे,
ये खामोश लब,
बरबस कुछ कह जाते,
नवीन बातें,
हर जड़ विषाद से परे!
खामोश तेरी बातें,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
उल्लासित,
इन दो नैनों में मेरे,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
संख्यातीत,
इन क्षणों में मेरे,
सुवासित है,
उन्मादित साँसों के घेरे,
ये खामोश लब,
बरबस कुछ कह जाते,
नवीन बातें,
हर जड़ विषाद से परे!
खामोश तेरी बातें,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
उल्लासित,
इन दो नैनों में मेरे,
अहसास तेरा,
है तेरे अस्तित्व से परे,
ये बहती हवाएं,
संवाद तेरे ही ले आए,
ये आमंत्रण,
हर जड़ अवसाद से परे!
खामोश तेरी बातें,,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
अंत-विहीन,
ऊँचे दरख्तों से परे,
तेरे ही साए,
गीत निमंत्रण के सुनाए,
अंतहीन व्योम,
तैरते श्वेत-श्याम बादल,
उनमुक्त ये संवाद,
हर जड़ उन्माद से परे !!
खामोश तेरी बातें,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
है तेरे अस्तित्व से परे,
ये बहती हवाएं,
संवाद तेरे ही ले आए,
ये आमंत्रण,
हर जड़ अवसाद से परे!
खामोश तेरी बातें,,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...
अंत-विहीन,
ऊँचे दरख्तों से परे,
तेरे ही साए,
गीत निमंत्रण के सुनाए,
अंतहीन व्योम,
तैरते श्वेत-श्याम बादल,
उनमुक्त ये संवाद,
हर जड़ उन्माद से परे !!
खामोश तेरी बातें,
हैं हर जड़ संवाद से परे ...