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Saturday 23 January 2016

क्षणभंगुर जीवन की नाव

यह नाव, जीवन की क्षणभंगुर,
यात्री, जाना पर तुझको है दूर,
ठहरेगा तू, तट जीवन के, थोड़ी देर,
दामन छोड़ना, मत कभी धीरज का,
मंजिल, अपने नगर की, तू पाएगा जरूर।

क्षणिक नगरी में, तुझे मिलेगा,
अपने हृदय की, स्वप्निल छाया,
जड़ शुष्क, कभी खुद को पाएगा,
सीमित प्राचीरों में, कभी रक्षित होगा,
अंतिम मंजिल, अपने नगर की, फिर पाएगा।

आज यौवन, जीवन का तुझमें,
कुछ सुखदायक, सरस स्वप्न इसमें,
तू, अमर सुख भी जीवन का पाएगा,
भर ले तू गागर, सुख-दुख के क्षण से,
कुछ देर ठहर कर, जग से तू, वापस जाएगा।