कुम्हलाए सूरज में, वो भोर नहीं अब,
अंधेरी रातों का, छोर नहीं अब!
नमीं आ जमीं, या पिघल रहा वो सूरज,
खिली सुबह का, दौर नहीं अब!
झुकते पर्वत पे, बादल और नहीं अब,
उड़ते बादल के, ठौर नहीं अब!
लदी बूँदों से घन, जली वो मन ही मन,
करता क्यूँ कोई, गौर नहीं अब!
चहकते चिड़ियों में, वो शोर नहीं अब,
भौंरे कलियों पे, और नहीं अब!
बदली है फ़िजा, बदल चुका वो सूरज,
बहते झरनों का, शोर नहीं अब!
धधकता ही नहीं, क्या आग सीने में!
राख ही बचा, क्या अब जीने में!
धूल-धूसरित या मुर्छित हुआ वो सूरज,
अंधेरी रातों का, अंत नहीं अब!
खोया भोर कहीं, उन्ही अंधियारों में!
सूरज वो खोया, शायद तारों में,
लपटें नहीं उठती, अब उन अंगारों में,
चम-चमाता वो, भोर नहीं अब!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत सुन्दर और सार्थक
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय मयंक जी। आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 16 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभारी हूँ दी।
Deleteबहुत सुंदर भाव पूर्ण सृजन सुंदर शब्द संयोजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया कुसुम जी। आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (17-01-2020) को " सूर्य भी शीत उगलता है"(चर्चा अंक - 3583) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता 'अनु '
आभारी हूँ आदरणीया अनु जी।
Deleteइतनी निराशा क्यों मित्र?
ReplyDeleteसर्व-व्यापी प्रदूषण के उन्मूलन का प्रयास तो हमको-आपको ही करना है.
हमारे अपने प्रयास से प्रकृति भी मुस्कुराएगी और देशवासियों के साथ समूचा देश भी खिलखिलाएगा.
आदरणीय सर जी, देश के लोगों को दिग्भ्रमित होते देख, सूरज भी कुम्हलाया है तो मैं क्या।
Deleteसादर आभार आपका । यूँ ही प्रतिक्रिया देकर उत्साहवर्धन करते रहें । नमन।
बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया अनुराधा जी। आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई।
Deleteबहुत सुंदर और प्रभावी रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय ज्योति खरे जी। आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया ओंकार जी। आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई।
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