सांझ ढ़ले सुरमई बातों के सिलसिले,
मधुमई आवाज की उन गाँवों में हम चले,
चाँद मे नहाई सी रात अब साथ ढ़ले।
रात ढ़ले छुईमुई सी यादों के सिलसिले,
अन्तस्थ हृदय की उन धड़कनों से हम मिले,
अन्तर में कुम्हलाई सी अब याद ढ़ले।
जीवनदीप ढ़ले मधुमई यादों के सिलसिले,
मधुप्रीत की इस नैया मे तुम संग कुछ देर चले,
मनप्रांगण खिल आई जब जब तुम मिले।