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Monday, 8 February 2016

पन्ने खाली हैं आज

पन्ने खाली  हैं क्युँ आज  जिन्दगी के,
बनती क्युँ नही कोई कहानी अब यहाँ,
हादशों का सफर लगती है ये जिन्दगी,
विरानियों के साए में ये पन्ने अब यहाँ।

पन्ना पन्ना कभी सजता था फूलों सा,
कहता था हर पन्ना राज जिन्दगी का,
इन पन्नों को अब मिलते नहीं शब्द क्युँ,
खो गई है मायने इन पन्नों के आज कहाँ।

खाली पन्ने भी बयाँ करती कोई दासताँ,
दर्द कह जाती है मौन पन्नों की जुबाँ,
पन्ने जिन्दगी के फिर से हसेंगी शायद,
विरानियाँ पन्नों की ढुंढेगी फिर नईं जुबाँ।