वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
चटकने लगी, मन की कली,
कुछ कहने लगी, चुप-चुप सी हर गली,
रंग राहों में, बिखरे हजार,
तन्हाईयाँ, करने लगी बातें हजार...
वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
खूबसूरत हुए, कई सिलसिले,
चला जादू कोई, हर राह वो ही मिले,
छाने लगा, कोई खुमार,
सताने लगे, वो ही सपनों में यार.....
वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
है ये सच, या है मेरा ही भरम,
यूँ सँवरते रहे, उन्हीं के ख्वाब में हम,
बसा इक, नया सा संसार,
नज्म ख्वाबों के, बिखरे हजार....
वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
( इस ब्लॉग पर मेरी 1000 वीं प्रविष्टि)
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
हलचल-पाँच लिंकों का आनंद द्वारा प्रशंसित
चटकने लगी, मन की कली,
कुछ कहने लगी, चुप-चुप सी हर गली,
रंग राहों में, बिखरे हजार,
तन्हाईयाँ, करने लगी बातें हजार...
वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
खूबसूरत हुए, कई सिलसिले,
चला जादू कोई, हर राह वो ही मिले,
छाने लगा, कोई खुमार,
सताने लगे, वो ही सपनों में यार.....
वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
है ये सच, या है मेरा ही भरम,
यूँ सँवरते रहे, उन्हीं के ख्वाब में हम,
बसा इक, नया सा संसार,
नज्म ख्वाबों के, बिखरे हजार....
वो मिल गए, ख्वाबों नें कर लिया श्रृंगार!
( इस ब्लॉग पर मेरी 1000 वीं प्रविष्टि)
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
हलचल-पाँच लिंकों का आनंद द्वारा प्रशंसित