Friday 26 April 2019

तुम थे तो

तुम जिस पल थे,
वो ही थे,
आकर्षण के दो पल!

तुम थे तो,
जागे थे नींद से ये एहसास,
धड़कन थी कुछ खास,
ठहरी सी थी साँस,
आँखों नें,
देखे थे कितने ही ख्वाब,
व्याकुल था मन,
व्याप गई थी इक खामोशी,
न जाने ये,
थी किसकी सरगोशी,
तन्हाई में,
तेरी ही यादों के थे पल!

तुम जिस पल थे,
वो ही थे,
आकर्षण के दो पल!

तुम थे तो,
वो पल था कितना चंचल,
नदियों सा बहता था,
वो पल कल-कल,
हवाओं में,
प्रतिध्वनि सी थी हलचल,
तरंगों सी लहरें,
विस्मित करती थी पल-पल,
खींचती थी,
छुन-छुन बजती पायल,
क्षण भर में,
सदियाँ गुजरी थी उस पल!

तुम जिस पल थे,
वो ही थे,
आकर्षण के दो पल!

तुम थे तो,
अधूरा सा न था ये आंगण,
मूर्त हुई थी चित्रकलाएं,
बोलती थी तस्वीरें,
अंधेरों में,
जग पड़ते थे कितने तारे,
सजता था गगन,
गुम-सुम कुछ कहते थे तुम,
तारों संग,
विहँसते थे वो बादल,
उन बातों में,
जीवन्त थे रातों के पल!

तुम जिस पल थे,
वो ही थे,
आकर्षण के दो पल!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

26 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 27 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... मुखरित मौन पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुंदर ...आगे बढने फलसफ़ा देती नज्म ....बधाई .

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (27-04-2019) "परिवार का महत्व" (चर्चा अंक-3318) को पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    --अनीता सैनी

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  4. बहुत सुंदर रचना आदरणीय

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  5. बहुत खूब आदरणीय पुरुषोत्तम जी। किसी के साथ बिताए कुछ पल हमारे जीवन का स्थाई सम्बल बन जाते हैं। सुंदर, भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और आभार।

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  6. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    28/04/2019 को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  7. तुम थे तो सब कुछ था...बहुत सुन्दर भखवो से सजी लाजवाब रचना...
    वाह!!!

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  8. सदैव आभारी हूँ आदरणीया सुधा देवरानी जी ।

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  9. सुंंदर भावपूर्ण रचना।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया पम्मी जी।

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  10. आपने पसंद किया, आभारी हूँ आदरणीय रवीन्द्र जी।

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  11. अहसासों से भरी सुंदर रचना ,बधाई हो

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    1. शुक्रिया आदरणीया । स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर।

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  12. तुम थे तो,
    अधूरा सा न था ये आंगण,
    मूर्त हुई थी चित्रकलाएं,
    बोलती थी तस्वीरें,
    अंधेरों में,
    जग पड़ते थे कितने तारे,
    सजता था गगन,
    बहुत सुंदर गहराई तक एहसासों को सहलाते उद्गगार ।
    अप्रतिम।

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    1. शुक्रिया आभार आदरणीया कुसुम जी। बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  13. जिंदगी के इन्ही दो पलों को लेकर पूरा जीवन जीने का लाजवाब अंदाज़ ...
    फिर प्रेम की दो पल सच में काफी हैं चार पल की जिंदगी के लिए ... बेह्त्रें रचना ...

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    1. प्रेरक शब्दों हेतु आभार आदरणीय नसवा जी।

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