Thursday 4 April 2019

जीवन-मृत्यु

प्रवाह में जीवन के, क्यूँ मृत्यु की परवाह करूँ!

गहन निराशा के क्षण, मुखरित होते हैं दो प्रश्न,
दो ही विकल्प, समक्ष रखता है जीवन?
मृत्यु स्वीकार करूँ, या जीवन अंगीकार करूँ!
जग से प्रयाण करूँ, या कुछ प्रयास करूँ!

जीवन के हर संदर्भ में, पलता है दो भ्रम!
किस पथ है मंजिल, मुकम्मल कौन सी चाहत?
सारांश है क्या? क्यूँ होता है मन आहत?
क्या रखूँ, क्या छोड़ूँ, क्या भूलूँ, क्या याद करूँ?

धुन जीवन के सुन लूँ, या मृत्यु ही चुन लूँ!
संदर्भ कोई आशा के, निराश पलों से चुन लूँ!
गर्भ में मृत्यु के, क्या चैन पाता है जीवन?
उलझाते हैं प्रश्न, इक क्षण मिलती नहीं राहत!

अटल है मृत्यु, पर शाश्वत सत्य है जीवन भी....
मृत्यु के पल भी, जीती है जीने की चाहत!
क्यूँ ना, जीवन जी लूँ, क्यूँ मृत्यु को याद करूँ!
जीवन के साथ चलूँ, जीने की चाह बुनूँ!

प्रवाह में जीवन के, क्यूँ मृत्यु की परवाह करूँ!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-04-2019) को "दिल पर रखकर पत्थर" (चर्चा अंक-3296) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete

  2. जीवन के हर संदर्भ में, पलता है दो भ्रम!
    किस पथ है मंजिल, मुकम्मल कौन सी चाहत?
    सारांश है क्या? क्यूँ होता है मन आहत?
    क्या रखूँ, क्या छोड़ूँ, क्या भूलूँ, क्या याद करूँ?
    ऐसे अनगिनत सवाल मन को अक्सर दिग्भ्रमित करते हैं...
    पर मृत्यु ही शाश्वत सत्य है इसे स्वीकार लें तो शायद ये प्रश्न उठें ही ना...

    ReplyDelete
    Replies
    1. रचना से जुड़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मीना जी।

      Delete
  3. वाह ! बहुत सुन्दर आदरणीय 👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अनीता जी।

      Delete
  4. मृत्यु शाश्वत सत्य है लेकिन जीवन को भी विस्मृत नहीं कर सकते। सार्थक जीवन जीने पर मृत्यु अज़नबी नहीं लगेगी। बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. रचना से जुड़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय कैलाश जी। सदैव स्वागत है आपका ।

      Delete