Tuesday, 14 January 2020

सत्य

हाथ रख, गीता या कुरान पर,
कर, शपथ,
बस, सत्य के नाम पर,
हो, एक पथ,
तू बाँच दे, क्या है सत्य!

अमिट है, मन के ही करीब है,
इक, अमूर्त्य,
पर, बोध है, यथार्थ का,
वो, एक पथ,
अविजेय है, वो है सत्य!

सत्य से विमुख, कैसे हम रहें?
एक, तथ्य,
असत्य, कैसे हम कहें?
है, वो सामने,
हृदय में है, वो है सत्य!

संस्कार है, सर्वदा निरंकार है!
टोकता है ये,
अधर्म से, रोकता है ये,
वो, निराकार,
अंतः छुपा, वो है सत्य!

गीता या कुरान, फिर से पढ़,
न असत्य गढ़,
रह, सत्य के राह पर,
वो, एक आँच,
तू बाँच दे, क्या है सत्य!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 14 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-01-2020) को   "मैं भारत हूँ"   (चर्चा अंक - 3581)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    मकर संक्रान्ति की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  3. अप्रतिम!
    मार्गदर्शन कर रही है ये रचना। वाकई सत्य हमारे अंदर ही है...बस उसे ढूंढने और जानने करने की जरूरत है। आप ये संस्कार गीता, कुरान या कोई और माध्यम से भी ग्रहण कर सकते है।

    "...
    गीता या कुरान, फिर से पढ़,
    न असत्य गढ़,
    रह, सत्य के राह पर,
    वो, एक आँच,
    तू बाँच दे, क्या है सत्य!"

    बार-बार पढ़ने वाली रचना।
    बधाई!!!

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    1. आप जैसे पाठकगण का असीम स्नेह ही हमें प्रेरित करते हैं । साधुवाद व बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय प्रकाश जी।

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  4. गीता या कुरान, फिर से पढ़,
    न असत्य गढ़,
    रह, सत्य के राह पर,
    वो, एक आँच,
    तू बाँच दे, क्या है सत्य

    बहुत खूब.... ,मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. आदरणीया कामिनी जी, हृदयतल से आभार व मकरसंक्रांति की ढेरों शुभकामनाएं । धन-धान्य से परिपूर्ण हो आपका जीवन।

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  5. बहुत सुंदर सृजन
    वाह

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    1. आदरणीय ज्योति जी, बहुत-बहुत धन्यवाद। ऐसे ही प्रेरित करते रहें ।

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  6. सत्य पर सुंदर उद्बोधन देती सार्थक रचना, बहुत सुंदर तथ्य, अभिनव सृजन ।

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    1. आदरणीया कुसुम जी,बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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