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Friday 27 November 2020

जन्मदिन- एक शुभकामना

स्निग्ध छटा सी, स्वप्निल!
मने निरंतर, जन्म-दिवस यह, 
स्वप्न सरीखी स्नेहिल!

अतुल्य स्नेह मिले,
भार्या, भाई-बन्धु, स्वजन, पुत्रजनों से,
कोटि-कोटि आशीष मिले, 
मात-पिता, गुरुजन, श्रेष्ठजनों से,
गाएं सब हिलमिल!

स्निग्ध छटा सी, स्वप्निल!
मने निरंतर, जन्म-दिवस यह, 
स्वप्न सरीखी स्नेहिल!

नवीन विहान हो,
कल्पतरू सा, जीवन के ये पल खिले,
जगमग हो, धूमिल सी संध्या,
विघ्न-विहीन, समुनन्त राह मिले,
रातें हों झिलमिल!

स्निग्ध छटा सी, स्वप्निल!
मने निरंतर, जन्म-दिवस यह, 
स्वप्न सरीखी स्नेहिल!

उम्र चढ़े, आयुष बढ़े,
खुशी की, इक छाँव, घनेरी हो हासिल,
मान बढ़े, नित् सम्मान बढ़े,
धन-धान्य बढ़े, आप शतायु बनें,
आए ना मुश्किल!

स्निग्ध छटा सी, स्वप्निल!
मने निरंतर, जन्म-दिवस यह, 
स्वप्न सरीखी स्नेहिल!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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HAPPY BIRTHDAY

Sunday 21 October 2018

गठबंधन

नाजुक डोर से इक,
दो हृदय, आज जुड़ से गए...

बंध बंधते रहे,
तार मन के जुड़ते रहे,
डबडबाए नैन,
बांध तोड़ बहते रहे,
चुप थे दो लब,
चुपके से कुछ कह गए,
गांठ रिश्तों के,
इक नए से जुड़ गए....

नाजुक डोर से इक,
दो हृदय, आज जुड़ से गए...

खिल सी उठी,
मुरझाई सी इक कली,
आशाएं कई,
इक साथ पल्लवित हुई,
बांधने मन के,
इक नवीन बंधन वो चली,
नाम रिश्तों के,
इक नए से मिल गए.....

नाजुक डोर से इक,
दो हृदय, आज जुड़ से गए...

मुक्त आकाश ये,
छूने लगा मुदित हृदय,
बेसुरा कंठ भी,
गाने लगा नवीन लय,
मुखरित राह पर,
राही नए दो चल पड़े,
राह रिश्तों के,
इक नए से मिल गए.....

नाजुक डोर से इक,
दो हृदय, आज जुड़ से गए...

कोटि-कोटि कर,
आशीष देने को उठे,
कितने ही स्वर,
शंख नाद करने लगे,
ये सैकड़ों भ्रमर,
डाल पर मंडराने लगे,
डाल रिश्तों के,
इक नए से मिल गए.....

नाजुक डोर से इक,
दो हृदय, आज जुड़ से गए...

Saturday 27 August 2016

प्रेरणाशीष

प्रेरणाशीष मंगलकामना

आपका प्रेरणाशीष शिरोधार्य,
प्रशंसा पाता रहूँ करता रहूँ मंगल कार्य,
योग्य खुद को बनाऊँ, रहूँ आपको स्वीकार्य।

कृपा सरस्वती की बरसती रहे,
आपके घरों में लक्ष्मी भी हँसती रहें,
जीवन के उच्च शिखरों मे आप नित चढ़ते रहे।

जीवन प्रगति पथ पर आरूढ़ हो,
धन धान्य सुख से जीवन कलश पूर्ण हो,
सफलता की नई सीढ़ियाँ सबों को मिलती रहे।

मैं युँ ही सांसों पर्यन्त लिखता रहूँ,
मेरी रचनाएँ जीवन की कलश बन निखरे,
मार्गदर्शन करें ये सबका, मेरा जीवन सफल करे।

Wednesday 20 January 2016

माँ का आशीर्वचन

मंगलमय हो नया सवेरा,

उतरे किरण स्वर्ग की भू पर,
सपनों का उजियारा लेकर,
पुलक उठे जन-जन का अन्तर,
यह नववर्ष तुम्हारे जीवन को,
खुशियों से पूरित कर दे,
गुरुजन का आशीष कवच बन,
प्रतिक्षण तेरी रक्षा कर दे,
परमपिता परमेश्वर से यही विनती,
तेरी प्रगति के पथ को विस्तृत कर दे,

मंगलमय हो नया सवेरा।

(यह मेरी माँ, श्रीमति सुलोचना वर्मा, के द्वारा अपनी आवाज में भेजी गई आशीर्वचन का रुपान्तरण है)
माता जी विदुषी तथा हिन्दी की अध्यापिका थी और अब 70 वर्ष से अधिक की हैं। मेरी शिक्षा उन्हीं के सानिध्य में हुई।

Sunday 20 December 2015

मेरी माँ का आशीष

मेरी मां द्वारा उच्चारित तत्क्षण् आशीष शब्द...

लो मेरा आशीष
प्रतिक्षण प्रगति पथ पर बढ़ चलो तुम
तुम्ही आशा, तुम्ही स्वपनों की बनो साकार प्रतिमा,
दे रही आशीष तुझको, भावना की भावभीनी भेंट ले लो,

चाहता है मन तुझे आरूढ़ देखूं, प्रगति के उत्तुंग शिखरों पर,
ग्यान का आलोक ले विद्या विनय व पात्रता से 
तुम लिखो इतिहास नूतन,गर्व जिसपर कर सकें हम, 

वाटिका के सुमन सम विकसित रहो तुम,
सुरभि से जन जन के मन को जीत लो तुम,
स्नेह सेवा देशहित तुम कर सको सबकुछ समर्पण,
मार्ग के काटों को फूलों मे बदल लो,
भावना की भावभीनी भेंट ले लो,

शब्द को शक्ति नहीं कि भावना को मुखर कर दे, 
समझ पाओ तुम हमे (मां-गुरु)
ईश्वर तुम्हारी बुद्धि को भी प्रखर कर दे,
हम वो संतराश है....जो पत्थरों में फूकते हैं प्राण, 
कृति मेरी तुम बनो कल्याणकारी,
ले सको तो स्नेह का उपहार ले लो,
भावना की भावभीनी भेंट ले लो।

-- रचयिता श्रीमति सुलोचना वर्मा (मेरी मां)

Its blessings that my mother said these lines to me, which i could capture in words, at Saharsa (Bihar)