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Thursday 31 December 2015

यादों के फूल

फूल यादों के खिलते रहेंगे सदा,
यादों की बन जाएंगी लड़ियाँ,
कुछ सूखे कुछ हरे-भरे पत्तों से,
मानस पटल पर उभर अनमने से,
कुछ सुख-कुछ दुख की अनुभूतियाँ।

बीती-बातों की खुल जाएंगी परतें,
आँखों मे होगा हर गुजरा मंजर,
परत दर परत शायद वो गहराए,
कुछ याद आए, कुछ विसरा जाए,
कुछ आशा-कुछ निराशा के प्रस्तर।

जीवन की राहें गुजरती यादों संग,
कुछ यादें मीठी क्युँ न छोड़ जाए हम़,
जो प्रखेरे आशाओं के रश्मि किरण,
यादें ऐसी जो आँखों मे प्रीत भर दे,
कुछ आस जगाएं नयनों को कर जाए नम।

Friday 18 December 2015

फूल...थोड़ा तुम्हारा, थोड़ा हमारा


फूल...थोड़ा तुम्हारा, थोड़ा हमारा,
जीवन जीने की
अविस्मरणीय सीख दे जाते हैं,
भले ही जियें एक ही दिन,
पर कहा वे घबराते हैं,
फूल हँसते ही रहते हैं,
खिला सब उनको पाते हैं,
जीते है बस चन्द दिन,
पर बात बड़ी कह जाते हैं,

रंग कब बिगड़ सका उनका,
रंग लाते दिखलाते है,
मस्त हैं सदा बने रहते,
उन्हें मुसुकाते पाते हैं,
भले ही जियें एक ही दिन,
पर कहा वे घबराते हैं,
फूल हँसते ही रहते हैं,
खिला सब उनको पाते हैं ।