यादों की बन जाएंगी लड़ियाँ,
कुछ सूखे कुछ हरे-भरे पत्तों से,
मानस पटल पर उभर अनमने से,
कुछ सुख-कुछ दुख की अनुभूतियाँ।
बीती-बातों की खुल जाएंगी परतें,
आँखों मे होगा हर गुजरा मंजर,
परत दर परत शायद वो गहराए,
कुछ याद आए, कुछ विसरा जाए,
कुछ आशा-कुछ निराशा के प्रस्तर।
जीवन की राहें गुजरती यादों संग,
कुछ यादें मीठी क्युँ न छोड़ जाए हम़,
जो प्रखेरे आशाओं के रश्मि किरण,
यादें ऐसी जो आँखों मे प्रीत भर दे,
कुछ आस जगाएं नयनों को कर जाए नम।
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