Sunday 20 December 2020

कोहरे

धुंधले ये कोहरे हैं, या दामन के हैं घेरे,
रुपहली क्षितिज है, या रुपहले से हैं चेहरे,
ठंढ़ी पवन है, या हैं सर्द आहों के डेरे,
सिहरन सी है, तन-मन में,
इक तस्वीर उभर आई है, कोहरों में!

सजल ये दो नैन हैं, या हैं बूंदों के डेरे,
वो आँचल हैं ढ़लके से, या हैं बादल घनेरे,
वो है चिलमन, या हैं हल्के से कोहरे,
हलचल सी है, तन-मन में,
वही रंगत उभर आई है, कोहरों में!

उसी ने, रंग अपने, फलक पर बिखेरे,
रंगत में उसी की, ढ़लने लगे अब ये सवेरे,
वो सारे रंग, जन्नत के, उसी ने उकेरे,
छुवन वो ही है, तन-मन में,
वही चाहत उभर आई है, कोहरों में!

बुनकर कोई धागे, कोई गिनता है घेरे,
चुन कर कई लम्हे, कोई संग लेता है फेरे,
किसी की रात, किन्हीं यादों में गुजरे,
कोई बन्धन है, तन-मन में,
इक तावीर उभर आई है, कोहरों में!

धुंधले ये कोहरे हैं, या दामन के हैं घेरे,
रुपहली क्षितिज है, या रुपहले से हैं चेहरे,
ठंढ़ी पवन है, या हैं सर्द आहों के डेरे,
सिहरन सी है, तन-मन में, 
इक तस्वीर उभर आई है, कोहरों में!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

22 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 21 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. Replies
    1. आदरणीया ज्योति जी, हार्दिक स्वागत है आपका। आप जैसी शख्सियत की प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्रिया। ।।।

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  3. धुंधले ये कोहरे हैं, या दामन के हैं घेरे,
    रुपहली क्षितिज है, या रुपहले से हैं चेहरे,
    ठंढ़ी पवन है, या हैं सर्द आहों के डेरे,
    सिहरन सी है, तन-मन में,
    इक तस्वीर उभर आई है, कोहरों में!


    बेहतरीन सृजन,
    साधुवाद 🙏

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया डा वर्षा जी। स्वागत है आपका।

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  4. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-12-20) को "शब्द" (चर्चा अंक- 3923) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. एक दीर्घ अन्तराल के पश्चात ब्लाॅग पर पुनः पधारने व प्रतिक्रिया देने हेतु आभारी हूँ आदरणीया सुजाता प्रिये जी।

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  6. खूबसूरत दृश्यों से आच्छादित सुन्दर कृति..

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया जिज्ञासा जी। स्वागतम।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय यशवन्त माथुर जी। सुस्वागतम्। ।।।। स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर।

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    1. शुक्रिया आभार आदरणीय शान्तनु जी।

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  9. सजल ये दो नैन हैं या बूंदों के डेरे
    बेहद सुंदर पंक्तियां, बहुत खूबसूरत रचना

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    1. आभारी हूँ आदरणीया भारती जी। धन्यवाद।

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