यह शरीर नश्वर तर जाए भव सागर जीवन की!
धुन एक ही लगी बस सागर पार जाने की,
तड़ जाऊँ सब बाधा विघ्न दुनियाँ की,
जोगी सा रमता मन धुन बस रम जाने की।
मन मस्त कलंदर बावरा दिल रमता जोगी,
लगन लगी अथाह सागर तर जाने की,
कागद के टुकड़ों सा तन बस गल जाने की।
धुन में रमता मन परवाह नही कुछ तन की,
पल आश-निराश के समय अवसान की,
पल पल गलता जीवन हिमखंड शिलाओं सी।
शरण आया तेरे ईश्वर आस लिए मोक्ष की,
कुछ बूँद छलका दे अपनी अनुकंपा की,
ये शरीर नश्वर तर जाए भव सागर जीवन की।
धुन एक ही लगी बस सागर पार जाने की,
तड़ जाऊँ सब बाधा विघ्न दुनियाँ की,
जोगी सा रमता मन धुन बस रम जाने की।
मन मस्त कलंदर बावरा दिल रमता जोगी,
लगन लगी अथाह सागर तर जाने की,
कागद के टुकड़ों सा तन बस गल जाने की।
धुन में रमता मन परवाह नही कुछ तन की,
पल आश-निराश के समय अवसान की,
पल पल गलता जीवन हिमखंड शिलाओं सी।
शरण आया तेरे ईश्वर आस लिए मोक्ष की,
कुछ बूँद छलका दे अपनी अनुकंपा की,
ये शरीर नश्वर तर जाए भव सागर जीवन की।