सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!
चल कहीं निकल, न संताप में तू जल,
बन जा विहग, आकाश पे मचल,
छोड़ दे ये दायरे, उन सितारों के पास चल,
खुद को न यूँ, तू दिवानगी में जला!
सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!
रात का प्रहर, चाँद विंहस रहा मचल,
हँस रही ये रात भी, गा रही गजल,
तू न मौन रह, गुनगुना ले संग तू भी चल,
घुट-कर न यूँ, जीवन के क्षण बिता!
सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!
कम न होता यहाँ, जिन्दगी का आँचल,
छँट ही जाते हैं, गम के ये बादल,
बरस गए जरा, ये पल में हो जाएंगे विरल,
शुन्य में कहीं, यूँ खुद को ना भुला!
सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!
चल कहीं निकल, न संताप में तू जल,
बन जा विहग, आकाश पे मचल,
छोड़ दे ये दायरे, उन सितारों के पास चल,
खुद को न यूँ, तू दिवानगी में जला!
सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!
रात का प्रहर, चाँद विंहस रहा मचल,
हँस रही ये रात भी, गा रही गजल,
तू न मौन रह, गुनगुना ले संग तू भी चल,
घुट-कर न यूँ, जीवन के क्षण बिता!
सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!
कम न होता यहाँ, जिन्दगी का आँचल,
छँट ही जाते हैं, गम के ये बादल,
बरस गए जरा, ये पल में हो जाएंगे विरल,
शुन्य में कहीं, यूँ खुद को ना भुला!
सम्भल ऐ गमे-दिल, न हो जिन्दगी से खफा!