कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !
तुम सार हो चिर सुख के लम्हों की,
तुम से ही प्रेरणा जीवन में कुछ करने की,
तुम विभूषित अनुभूति हो इस मन की,
मैं सह गया व्यथा तुम संग पूरे जीवन की।
कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !
कायनात सपनों की तेरे ही दामन में,
डग लम्बे भरता हूँ तुम संग ही जीवन में,
आशा और विश्वास तुझसे ही मानस में,
जीवन का सार तुझसे ही इस मन प्रांगण में।
कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !
इस मन वीणा की सुरमई संगीत तुम,
सप्तराग में गाती कोई मधुर सी गीत तुम,
उनमुक्त गगण के पंछी की आवाज तुम,
जीवन की अनुराग का संचित आधार तुम।
कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !
तुम सार हो चिर सुख के लम्हों की,
तुम से ही प्रेरणा जीवन में कुछ करने की,
तुम विभूषित अनुभूति हो इस मन की,
मैं सह गया व्यथा तुम संग पूरे जीवन की।
कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !
कायनात सपनों की तेरे ही दामन में,
डग लम्बे भरता हूँ तुम संग ही जीवन में,
आशा और विश्वास तुझसे ही मानस में,
जीवन का सार तुझसे ही इस मन प्रांगण में।
कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !
इस मन वीणा की सुरमई संगीत तुम,
सप्तराग में गाती कोई मधुर सी गीत तुम,
उनमुक्त गगण के पंछी की आवाज तुम,
जीवन की अनुराग का संचित आधार तुम।
कहो तो, सारांश तुम ही हो जीवन के उपलब्धियों की !