जब जब तुमने सांसें ली थी आह मेरी भी निकली थी मन से!
तेरी साँसों की आती जाती लय में,
व्यथा उस जीवन की मैंने सुन ली थी,
व्यथित होता था मैं भी उस व्यथा से,
तब आह इस मन से निकल जाती थी।
विचलन इन साँसो की तेरी कह जाती थी मन की बातें सारी!
तुम मन को कितना भी बहलाओ,
रफ्तार इन साँसों की सब कह जाती है,
व्यथा की आग निकलती हैं साँसों से,
आह तब इस मन से निकल जाती है।
तेरी साँसों की लय का अंतरंग राही मैं, सुन लेता हूँ बातें सारी!
आह कैसे ना निकले इस मन से,
व्यथित जीवन मैं तेरी देख पाऊंगा कैसे,
ऐ सुख की घड़ियाँ तू जा मिल उनसे,
साँसों की लय मे तू बस जाना उनके।
बीते सारा जीवन तेरा, साँसों से सुख की लड़ियाँ गिनते गिनते!
साँसें तुम लेती रहना सुख चैन की,
आह मैं भी भर लूंगा तब अपने मन की,
तेरी खुशियों की लय पर जी लूंगा मैं,
व्यथा इस जीवन की तब ही कम होगी।
जब तक तुम सांसें लोगी जीवन में, आह भर लूंगा मैं भी मन से!
तेरी साँसों की आती जाती लय में,
व्यथा उस जीवन की मैंने सुन ली थी,
व्यथित होता था मैं भी उस व्यथा से,
तब आह इस मन से निकल जाती थी।
विचलन इन साँसो की तेरी कह जाती थी मन की बातें सारी!
तुम मन को कितना भी बहलाओ,
रफ्तार इन साँसों की सब कह जाती है,
व्यथा की आग निकलती हैं साँसों से,
आह तब इस मन से निकल जाती है।
तेरी साँसों की लय का अंतरंग राही मैं, सुन लेता हूँ बातें सारी!
आह कैसे ना निकले इस मन से,
व्यथित जीवन मैं तेरी देख पाऊंगा कैसे,
ऐ सुख की घड़ियाँ तू जा मिल उनसे,
साँसों की लय मे तू बस जाना उनके।
बीते सारा जीवन तेरा, साँसों से सुख की लड़ियाँ गिनते गिनते!
साँसें तुम लेती रहना सुख चैन की,
आह मैं भी भर लूंगा तब अपने मन की,
तेरी खुशियों की लय पर जी लूंगा मैं,
व्यथा इस जीवन की तब ही कम होगी।
जब तक तुम सांसें लोगी जीवन में, आह भर लूंगा मैं भी मन से!
जब जब तुम सांसें लोगी खुश मैं भीै हो लूंगा जीवन में!बहुत सुन्दर रचना।
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