कुछ तो कहो मेरे अर्धांग.....
सिले से लब, भीगे से दो नैन,
चुप न रहो कहो मेरे अर्धांग,
लब हिलने दो कह दो वृतान्त,
कुछ बोलो........
सिंदूर का भरम, बिंदी में हम,
देह पत्र तुम, मैं हूँ कलम,
गम न सहो ऐ मेरे मृगान्त,
कुछ पिघलो.......
भौंहें तनी सी , नयन के तेवर,
कमर प्रत्यंचा सी, अनोखे जेवर,
मुझसे कहो कुछ मेरे सर्वांग,
कुछ दो लो........
कुछ तो कहो मेरे अर्धांग.....
सिले से लब, भीगे से दो नैन,
चुप न रहो कहो मेरे अर्धांग,
लब हिलने दो कह दो वृतान्त,
कुछ बोलो........
सिंदूर का भरम, बिंदी में हम,
देह पत्र तुम, मैं हूँ कलम,
गम न सहो ऐ मेरे मृगान्त,
कुछ पिघलो.......
भौंहें तनी सी , नयन के तेवर,
कमर प्रत्यंचा सी, अनोखे जेवर,
मुझसे कहो कुछ मेरे सर्वांग,
कुछ दो लो........
कुछ तो कहो मेरे अर्धांग.....