श्रद्धा सुमन, है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!
स्वीकार लो ये मेरी प्रार्थना,
निष्काम निष्कपट मेरी साधना,
भूल कोई भी, गर मैं करूं,
तू ही, बाँहें मेरी थामना,
बस और कुछ भी, मैं चाहूं ना,
देना यही इक आशीर्वचन....
श्रद्धा सुमन है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!
कहीं भटकें हो जब राहों में,
विमुख हों कर्मपथ से ये कदम,
खुद पे अहंकार मैं करूं,
तुम मार्गदर्शक बनना,
बस और कुछ भी, मैं चाहूं ना,
देना ज्ञान की ऐसी किरण....
श्रद्धा सुमन है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!
प्रभा विहीन हो जब प्रभात,
दुष्कर सी हो जब ये काली रात,
अपनी ही साये से मैं डरूं,
तू ही, मशाल थामना,
बस और कुछ भी, मैं चाहूं ना,
देना प्रकाशित वो ही किरण....
श्रद्धा सुमन है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!
स्वीकार लो ये मेरी प्रार्थना,
निष्काम निष्कपट मेरी साधना,
भूल कोई भी, गर मैं करूं,
तू ही, बाँहें मेरी थामना,
बस और कुछ भी, मैं चाहूं ना,
देना यही इक आशीर्वचन....
श्रद्धा सुमन है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!
कहीं भटकें हो जब राहों में,
विमुख हों कर्मपथ से ये कदम,
खुद पे अहंकार मैं करूं,
तुम मार्गदर्शक बनना,
बस और कुछ भी, मैं चाहूं ना,
देना ज्ञान की ऐसी किरण....
श्रद्धा सुमन है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!
प्रभा विहीन हो जब प्रभात,
दुष्कर सी हो जब ये काली रात,
अपनी ही साये से मैं डरूं,
तू ही, मशाल थामना,
बस और कुछ भी, मैं चाहूं ना,
देना प्रकाशित वो ही किरण....
श्रद्धा सुमन है तुझको अर्पण,
नमन है मेरा, हे भगवन! है तुझको नमन!