Monday 25 July 2016

नेह चाहता स्नेह

नेह पल रहा मन में तुम स्नेह का इक स्पर्श दे दो.....

स्नेह अंकुरते हैं तेरी ही कोख में,
धानी चुनर सी रंगीली ओट में,
कजरारे नैनों संग मुस्काते होठ में....,

तड़पता है प्यासा नेह तुम स्नेह की बरसात दे दो....

नित रैन बसेरा तुम संग स्नेह का ,
आँगन तेरा ही है घर स्नेह का,
तेरी ही बोली तो बस भाषा स्नेह का....,

मूक बिलखता है नेह तुम स्नेह का मधु-स्वर दे दो.....

स्नेह उपजता है तेरे हाथों की स्पर्श से,
स्नेह छलकता तेरे नैनों की कोने से,
जा छुपता है स्नेह तेरी आँचल के नीचे.....,

बिन आँचल है मेरा नेह तुम स्नेह का आँचल दे दो.....

तेरे हृदय खिलती है स्नेह की फुलवारी,
मैने तो बस माँगा थोड़ा सा स्नेह,
नेह भरा ये मन चाहो तो बदले में ले लो....,

कुम्हलाया है मेरा नेह तुम स्नेह की ये बगिया दे दो....

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