Thursday 2 August 2018

तू, मैं और प्यार

ऐसा ही है कुछ,
तेरा प्यार...

मैं, स्तब्ध द्रष्टा,
तू, सहस्त्र जलधार,
मौन मैं,
तू, बातें हजार!

संकल्पना, मैं,
तू, मूर्त रूप साकार,
लघु मैं,
तू, वृहद आकार!

हूँ, ख्वाब मैं,
तू, मेरी ही पुकार,
नींद मैं,
तू, सपन साकार!

ठहरा ताल, मैं,
तू, नभ की बौछार,
वृक्ष मैं,
तू, बहती बयार!

मैं, गंध रिक्त,
तू, महुआ कचनार,
रूप मैं,
तू, रूप श्रृंगार!

शब्द रहित, मैं,
तू, शब्द अलंकार,
धुन मैं,
तू, संगीत बहार!

ऐसा ही है कुछ,
तेरा प्यार...

No comments:

Post a Comment