Monday, 14 September 2020

चुन लूँ कौन सी यादें

चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!

बुनती गई मेरा ही मन, उलझा गई मुझको,
कोई छवि, करती गई विस्मित,
चुप-चुप अपलक गुजारे, पल असीमित,
गूढ़ कितनी, है उसकी बातें!

चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!

बहाकर ले चला, समय का विस्तार मुझको,
यूँ ही बह चला, पल अपरिमित,
बिखेरकर यादें कई, हुआ वो अपरिचित,
कल, पल ना वो बिसरा दे!

चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!

ऐ समय, चल तू संग-संग, थाम कर मुझको,
तू कर दे यादें, इस मन पे अंकित,
दिखा फिर वो छवि, तू कर दे अचंभित,
यूँ ना बदल, तू अपने इरादे!

चुन लूँ, कौन सा पल, कौन सी यादें!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)
---------------------------------------------------
तस्वीर में, मेरी पुत्री ... कुछ पलों को चुनती हुई

14 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर, यादों के तिनकों को बटोरती रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय विश्वमोहन जी।

      Delete
  2. बहुत सुन्दर।
    हिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हिन्द के मस्तक, शोभे जो बिन्दी
      वो है हिन्दी...
      सादर नमन।

      Delete
  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-9 -2020 ) को "हिंदी बोलने पर शर्म नहीं, गर्व कीजिए" (चर्चा अंक 3825) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कामिनी जी।

      Delete
  4. हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं सहित आभार आदरणीय

      Delete
  5. बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  6. Replies
    1. आदरणीया, आपसे सदैव मार्गदर्शन की अपेक्षा बनी रहेगी। आभार।

      Delete