जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
खोया मैं उस पल, उनकी ही बातों में....
टटोल कर, मेरा भावुक सा मन,
बोल कर कई सुप्रिय वचन,
पूछ कर न जाने, कितने ही प्रश्न,
रख गया था कोई हाथ, मेरे हाथों में....
जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
हृदय के तट, मची है हलचल,
है जिज्ञासा जागी प्रबल,
उस ओर ही, मन ये रहा मचल,
सुप्रिय से वो हालात, लम्बी बातों में....
जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
है खींच चुकी, इक लकीर सी,
उठ रही है इक पीर सी,
हो न हो, वो है कोई इक हीर सी,
सुप्रिय है वो ही पीर, मेरे जज़्बातों में...
जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
मैं भूला हूँ अब भी, उनकी बातों में....
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
खोया मैं उस पल, उनकी ही बातों में....
टटोल कर, मेरा भावुक सा मन,
बोल कर कई सुप्रिय वचन,
पूछ कर न जाने, कितने ही प्रश्न,
रख गया था कोई हाथ, मेरे हाथों में....
जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
हृदय के तट, मची है हलचल,
है जिज्ञासा जागी प्रबल,
उस ओर ही, मन ये रहा मचल,
सुप्रिय से वो हालात, लम्बी बातों में....
जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
है खींच चुकी, इक लकीर सी,
उठ रही है इक पीर सी,
हो न हो, वो है कोई इक हीर सी,
सुप्रिय है वो ही पीर, मेरे जज़्बातों में...
जज्ब कर जज्बात बातों में,
दो पल दे गया कोई साथ, तन्हा रातों में....
मैं भूला हूँ अब भी, उनकी बातों में....
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