Showing posts with label जुदा. Show all posts
Showing posts with label जुदा. Show all posts

Thursday 7 July 2022

जुदा-जुदा


जुदा-जुदा सा लगे, ये दो पल,
चल, कहीं दूर, इन फासलों से निकल!

अभी थे यहीं, इस पल में कहीं,
ले चला, ये पल, और मुझको कहीं,
उस पल, संग तुम थे,
और, ये पल, बड़े अजनबी,
क्या था पता!
ये दो पल, हैं कितने जुदा!

थे पहचाने से, वो पल के साए,
लगे अंजान, इस पल के, सरमाए,
है बदली सी, धुन कोई,
और, बेगाना सा, हर तराना,
अन-मना सा!
गीत, पल के, कितने जुदा!

हो जाएं, न यूं कहीं अजनबी,
यूं ना, भूल जाएं पल के महजबीं,
रंग सारे, हलके हलके,
भींच कर, मूंद लूं, ये पलकें,
अलहदा सा!
है ये रुप रंग, कितने जुदा!

जुदा-जुदा सा लगे, ये दो पल,
चल, कहीं दूर, इन फासलों से निकल!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Sunday 15 May 2016

दूरियों के दरमियाँ

हमको जुदा न कर सकेंगी ये दूरियों के दरमियाँ!

हम मिलते रहे हैं हर पल यूँ दूरियों के दरमियाँ,
रीत ईक नई बनती गई दूरियों के दरमियाँ,
समय यूँ गुजरता प्रतिपल इन दूरियों के दरमियाँ !

बदल रहा ये रूप ये रंग इस समय के दरमियाँ,
न बदले हैं हम कभी इस समय के दरमियाँ,
वक्त लेता रहा करवटें तुम संग समय के दरमियाँ!

ये दूरियों के दायरे रहे उम्र भर तेरे मेरे दरमियाँ,
वक्त कभी न भर सका दूरियों के दरमियाँ,
मेरे हृदय में रहे सदा तुम इन दूरियों के दरमियाँ!

Monday 11 April 2016

अर्थ

इंतजार.....!

कैसा इन्तजार?
अर्थहीन हैं ....
इंतजार की बातें सभी!

हर शख्स....!

तन्हा यहाँ,
अब किसी को
किसी का इंतजार नहींं!

हर लम्हा ....!

जुदा है यहाँ ....
दूसरे लम्हे से.........
लम्हा जीता खुद में ही!

पल......!

आने वाला पल...
किसी का
तलबगार नहीं!

अर्थ....!

ढू़ढ़ता है हर पल,
खुद से खुद मेंं....
बस अपने आप में ही!