इंतजार.....!
कैसा इन्तजार?
अर्थहीन हैं ....
इंतजार की बातें सभी!
हर शख्स....!
तन्हा यहाँ,
अब किसी को
किसी का इंतजार नहींं!
हर लम्हा ....!
जुदा है यहाँ ....
दूसरे लम्हे से.........
लम्हा जीता खुद में ही!
पल......!
आने वाला पल...
किसी का
तलबगार नहीं!
अर्थ....!
ढू़ढ़ता है हर पल,
खुद से खुद मेंं....
बस अपने आप में ही!
कैसा इन्तजार?
अर्थहीन हैं ....
इंतजार की बातें सभी!
हर शख्स....!
तन्हा यहाँ,
अब किसी को
किसी का इंतजार नहींं!
हर लम्हा ....!
जुदा है यहाँ ....
दूसरे लम्हे से.........
लम्हा जीता खुद में ही!
पल......!
आने वाला पल...
किसी का
तलबगार नहीं!
अर्थ....!
ढू़ढ़ता है हर पल,
खुद से खुद मेंं....
बस अपने आप में ही!
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