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Sunday 15 March 2020

मन चाहे

मन चाहे, जी लूँ दोबारा!
जीत लूँ सब, जो जीवन से हारा!

संदर्भ नए, फिर लिख डालूँ,
नजर, विकल्पों पर फिर से डालूँ,
कारण, सारे गिन डालूँ,
हारा भी, तो मैं,
क्यूँ हारा?

मन चाहे, जी लूँ दोबारा!
जीत लूँ सब, जो जीवन से हारा!

खोए से वो पल, दोहरा लूँ,
जीवन से, बिखरे लम्हे पा डालूँ,
मोती, बिखरे चुन डालूँ,
बिखरा तो, वो पल,
क्यूँ बिखरा?

मन चाहे, जी लूँ दोबारा!
जीत लूँ सब, जो जीवन से हारा!

ख्वाब अधूरे, चाहत के सारे,
जीवन के, भटकावों से हम हारे,
खुद को ही, समझा लूँ,
ठहरा भी, तो मैं,
क्यूँ ठहरा?

मन चाहे, जी लूँ दोबारा!
जीत लूँ सब, जो जीवन से हारा!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Monday 12 August 2019

दोबारा

आनेवाला कल हमारा, फिर पुकारेगा दोबारा!

खुले हैं पट, इतिहास के खुले हैं लट,
काश्मीर की इक भूल से, घरों के धुले हैं चौखट,
बाँट दे जो मन, अब हो न कोई ऐसी धारा,
इतिहास वो ही फिर, ना बने दोबारा!

आनेवाला कल हमारा, फिर पुकारेगा दोबारा!

तीन सौ सत्तर, टुकड़े कर के दिलों के,
खुफिया पते दुश्मनों को, देकर गए थे किलों के,
छुपे थे घरों में भेदिये, उल्टी बही थी धारा,
भूल वो ही फिर, अब ना हो दोबारा!

आनेवाला कल हमारा, फिर पुकारेगा दोबारा!

वो ही भेदिए, अब जयचंद बन चुके,
इन्सान की शक्ल में, वो ही भेड़िये हैं बन चुके,
उनकी ही सियासत, का खेल है ये सारा,
कामयाब वो ही, फिर न हो दोबारा!

आनेवाला कल हमारा, फिर पुकारेगा दोबारा!

जो आग है दिलों में, सम्हालो उन्हें,
पहचानो दुश्मनों को, कर दो खाक तुम उन्हें,
अमन, चैन की, बह चलेगी ऐसी धारा,
जम्हूरियत पर, गर्व होगा दोबारा!

आनेवाला कल हमारा, फिर पुकारेगा दोबारा!

इतिहास हम बनेंगे, गर्व सब करेंगे,
पीढियाँ दर पीढियाँ, हम पर नाज कर सकेंगे,
काश्मीर ही जनन्त, बनेगा फिर ये सारा,
कश्मीरियत, जी उठेगा दोबारा!

आनेवाला कल हमारा, फिर पुकारेगा दोबारा!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा