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Sunday, 10 April 2016

मोहब्बत चीज क्या?

ये मोहब्बत है या ये नशा है कोई?
पल दो पल तो इस जाम में डूबे है सभी,
है चीज क्या ये मोहब्बत सिखा दे कोई?
क्युँ बिखरे है प्यार में दिल ये बता दे कोई?

क्युँ गुनगुनाता है भँवरा कलियों पे कहीं?
क्युँ खिल जाती है कलियाँ बाग में फिर वहीं?
क्युँ जान देते है पतंगे उन दियों पे कहीं?
क्युँ मरते हैं प्यार मे जवाँ दिल ये बता दे कोई?

उधर शाख पर पत्तियाँ लहलहाती हैं क्युँ?
उन कटीली टहनियों पर फूल मुस्कुराती है क्युँ?
धूप की ओर सुरजमुखी घूम जाती है क्युँ?
क्युँ जल उठते है दिए प्यार में ये बता दे कोई?

ये मोहब्बत है या ये नशा, ये मुझको बता दे कोई?

Thursday, 24 March 2016

ये क्या कह गया तुमसे नशे में

ओह! आज मैं ये क्या कह गया तुमसे नशे में?

जाम महुए की पिला दी थी किसी नें,
उस पर धतूरे की भंग मिलाई थी किसी ने,
मुस्कुराकर शाम शबनमी बना दी थी आप ने,
उड़ गए थे होश मेरे, मन कहाँ रह गया था वश में।

ओह! आज मैं ये क्या कह गया तुमसे नशे में?

यूँ तो मैं पीता नही जाम हसरतों के,
पिला दी थी दोस्तों नें कई जाम फुरकतों के,
मुस्कुराए आप जो छलके थे जाम यूँ ही लबों पे,
होश में हम थे कहाँ, देखकर आपको सामने।

ओह! आज मैं ये क्या कह गया तुमसे नशे में?

ये दो नैन मयखाने से लग रहे आपके,
जाम कई हसरतों के छलकाए है यूँ आपने,
लड़खड़ाए मेरे कदम आपकी मुस्कुराहटों में,
उड़ चुके हैं होश मेरे, मन विवश आपके सामने।

ओह! आज मैं ये क्या कह गया तुमसे नशे में?