Showing posts with label मोड़. Show all posts
Showing posts with label मोड़. Show all posts

Monday, 6 November 2017

रूबरू

रूबरू मिल गए, गर वो किसी मोड़ पर तो!

लौट आओ तुम मिन्नतें हम करेंगे,
हैं कितनी बातें अधूरी, मुलाकातें जरूरी,
टूटे ख्वाबों को हम, फिर से जोड़ लेंगे,
रख लेंगे, सहेज कर वो यादों के पल हम,
उसी मोड़ से उनको घर ले चलेंगे.....

रूबरू मिल गए, गर वो किसी मोड़ पर तो!

फिर साँसों के बंधन हम जोड़ लेंगे,
खफा होकर क्यूँ, मुझसे गए दूर थे वो?
रश्म-ए-वफा हम उनसे पूछ लेंगे,
बांध लेंगे, वादों की जंजीर से खुद को हम,
सजदे वफा उसी मोड़ पर करेंगे....

रूबरू मिल गए, गर वो किसी मोड़ पर तो!

यूँ तन्हाई से नाता, हम तोड़ देंगे,
खाईं थी हमने, न जीने की जो कसमें,
कसम के वो सारे भरम तोड़ देंगे,
जी लेंगे, बस पल दो पल उसी मोड़ पे हम,
उसी मोड़ पे हम दम तोड़ देंगे....

रूबरू मिल गए, गर वो किसी मोड़ पर तो!
लौट आओ तुम, हम यही कहते रहेंगे।

Saturday, 15 October 2016

इक मोड़

अजब सी इक मोड़ पर रुकी है जिंदगानी,
न रास्तों का ठिकाना, न खत्म हो रही है कहानी।

लिए जा रहा किधर हमें ये मोड़ जिन्दगी के,
है घुप्प सा अंधेरा, लुट चुके हैं उजाले रौशनी के,
ओझल हुई है अब मंजिलें चाहतों की नजर से,
उलझी सी ये जिन्दगानी हालातों में जंजीर के।

अवरुद्ध हैं इस मोड़ पर हर रास्ते जिन्दगी के,
जैसे कतरे हों पर किसी ने हर ख्वाब और खुशी के,
ताले जड़ दिए हों किसी ने बुद्धि और विवेक पे,
नवीनता जिन्दगी की खो रही अंधेरी सी सुरंग में।

अजब सी है ये मोड़.....इस जिंदगी की रास्तों के.....

पर कहानी जिन्दगी की खत्म नहीं इस मोड़ पे,
बुनियाद हौसलों की रखनी है इक नई, इस मोड़ पे,
ऊँची उड़ान जिंदगी की भरनी हमें है विवेक से,
आयाम ऊंचाईयों की नई मिलेंगी हमें इसी मोड़ से।

यूँ ही मिल जाती नही सफलता सरल रास्तों पे,
शिखर चूमने के ये रास्ते, हैं गुजरते कई गहराईयों से,
चीरकर पत्थरों का सीना बहती है धार नदियों के,
इस मोड़ से मिलेगी, इक नई शुरुआत कहानियों के।

अजब सी इस मोड़ पे, नई मोड़ है जिन्दगानियों के.....