अनवरत कह रहे थे हम, चुप सुन रहे थे आप,
इक तरफा, कुछ यूं चला वार्तालाप!
शायद, पवन सहारे, बह चले थे, शब्द सारे,
हवाओं संग, तैरती, मेरी तरंगें,
हो दिशाहीन, उड़ चली थी, कहीं,
अर्थहीन, सारे आलाप,
इक तरफा, कुछ यूं चला वार्तालाप!
ठहरकर, एक धारा, ढूंढ़ती थी, वो किनारा,
दो लफ्जों का, यह खेल सारा,
भला, खेलता कोई, कैसे अकेला,
अधूरा सा, ये मिलाप,
इक तरफा, कुछ यूं चला वार्तालाप!
लौट आईं, ओर मेरी, गूंज, शब्दों के मेरे ही,
टकराकर, उन, खामोशियों से,
बड़े ही सिक्त थे, पर भावरिक्त थे,
सहते रहे, वो संताप,
इक तरफा, कुछ यूं चला वार्तालाप!
अनवरत कह रहे थे हम, चुप सुन रहे थे आप,
इक तरफा, कुछ यूं चला वार्तालाप!
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