चल कहीं, ऐ दिल, भटक न तू यहाँ!
बहा गई, आँधियाँ,
रहा न शेष, कुछ भी अब यहाँ,
ना वो, इन्तजार है!
अब न कोई, बे-करार है!
रास्ते, वो खो चुके,
तेरे वास्ते, थोड़ा वो रो चुके!
है कौन?
जिनके वास्ते, तू रुके!
ख्वाब, ना सुना!
न कर, तू ये नादानियाँ!
चल कहीं, ऐ दिल, भटक न तू यहाँ!
न देख, तू ये ख्वाब,
तेरी तरह, है प्यासा ये तालाब,
बचा न वो, आब है!
सूखा सा, अब चेनाब है!
पंक बनी, वो धार,
कहीं दूर, हो चली वो धार!
रिक्त अंक!
अंक-पाश, किसे भरे?
साहिल, ये सूना!
कर न, तू मनमानियाँ!
चल कहीं, ऐ दिल, भटक न तू यहाँ!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)