पुकार ले तू मुझको, कुछ बोल दे ऐ जिन्दगी,
रहस्य खामोशियों के, कुछ खोल दे ऐ जिन्दगी....
यह खामोशी है कैसी......
विषाद भरे आक्रोशित चिट्ठी की तरह गुमशुम,
राख के ढेर तले दबे गर्म आग की तरह प्रज्वलित,
तपती धूप में झुलसती पत्थर की तरह चुपचाप....
खामोशियाँ हों तो ऐसी.....
जज्बात भरे पैगाम लिए चिट्ठी की तरह मुखर,
दीवाली के फुलझड़ी मे छुपी आग सी खुशनुमा,
धूप में तपती गर्म पत्तियों की तरह लहलहाती.....
खामोशी है यह कैसी....
पुकार ले तू मुझको, कुछ बोल दे ऐ जिन्दगी,
तु कर दे इशारे, बता कि ये खामोशियाँ हैं कैसी?
रहस्य खामोशियों के, कुछ खोल दे ऐ जिन्दगी....
रहस्य खामोशियों के, कुछ खोल दे ऐ जिन्दगी....
यह खामोशी है कैसी......
विषाद भरे आक्रोशित चिट्ठी की तरह गुमशुम,
राख के ढेर तले दबे गर्म आग की तरह प्रज्वलित,
तपती धूप में झुलसती पत्थर की तरह चुपचाप....
खामोशियाँ हों तो ऐसी.....
जज्बात भरे पैगाम लिए चिट्ठी की तरह मुखर,
दीवाली के फुलझड़ी मे छुपी आग सी खुशनुमा,
धूप में तपती गर्म पत्तियों की तरह लहलहाती.....
खामोशी है यह कैसी....
पुकार ले तू मुझको, कुछ बोल दे ऐ जिन्दगी,
तु कर दे इशारे, बता कि ये खामोशियाँ हैं कैसी?
रहस्य खामोशियों के, कुछ खोल दे ऐ जिन्दगी....
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