Sunday, 16 May 2021

गूढ़ बात

कोई गूढ़ सी, वो बात है......

उनींदी सी, खुली पलक,
विहँसती, निहारती है निष्पलक,
मूक कितना, वो फलक!
छुपाए, वो कोई, 
इक राज है!

कोई गूढ़ सी, वो बात है......

लबों की, वो नादानियाँ,
हो न हो, तोलती हैं खामोशियाँ,
सदियों से वो सिले लब!
दबाए, वो कोई,
इक बात है!

कोई गूढ़ सी, वो बात है......

हो प्रेम की, ये ही भाषा,
हृदय में जगाती, ये एक आशा,
यूँ ना धड़कता, ये हृदय!
बजाए, वो कोई,
इक साज है!

कोई गूढ़ सी, वो बात है......

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

33 comments:

  1. लबों की, वो नादानियाँ,
    हो न हो, तोलती हैं खामोशियाँ,
    सदियों से वो सिले लब!
    दबाए, वो कोई,
    इक बात है...बहुत सुंदर

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  2. साज बजता रहे ...दिल धड़कता रहे ... गूढ़ सी बात का मर्म समझ आ जाये .....

    सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  3. सदैव की तरह बेहतरीन।
    आपकी रचनाओं के माध्यम से सदैव कुछ नये शब्दों से मेरा मिलना हो जाता है।

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    1. बिना आपके इज़ाज़त से मैं आपका कॉन्टैक्ट न. सुरक्षित कर लिया हूँ। आशा है आप इसे मेरी आवश्यकता ही समझेंगे।

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    2. इसी बहाने आप जैसे कलाप्रेमी/ साहित्य प्रेमी से संपर्क भी हो सकेगा। शुक्रिया। ।।।

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  4. लबों की, वो नादानियाँ,

    हो न हो, तोलती हैं खामोशियाँ,

    बहुत सुंदर रचना

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 18 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. हो प्रेम की, ये ही भाषा,
    हृदय में जगाती, ये एक आशा,
    यूँ ना धड़कता, ये हृदय!
    बजाए, वो कोई,
    इक साज है!


    अद्भुत

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  7. सुन्दर मन भावन पंक्तियों!!

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  8. गूढ़ सी ही बात जीवन में रस का सृजन करती है, सुंदर सृजन

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  9. वाह!पुरुषोत्तम जी ,लाजवाब सृजन ।

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  10. बहुत सुन्दर लाजवाब लेखन सर

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  11. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  12. शुभकामनाएं..
    सादर नमन

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  13. हो प्रेम की, ये ही भाषा,
    हृदय में जगाती, ये एक आशा,
    यूँ ना धड़कता, ये हृदय!
    बजाए, वो कोई,
    इक साज है!

    कोई गूढ़ सी, वो बात है......
    वाह!!!
    प्रेममयी आशातीत सृजन
    लाजवाब।

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  14. उनींदी सी, खुली पलक,
    विहँसती, निहारती है निष्पलक,
    मूक कितना, वो फलक!
    छुपाए, वो कोई,
    इक राज है!.. बहुत ही सुंदर।
    नव वर्ष की बधाई एवं मंगल कामना।

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  15. समस्त जनों का हार्दिक आभार और शुभकामनाएं।।।।

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