Sunday, 18 September 2016

इक अमिट याद हूँ मैं

इक अमिट याद हूँ मैं, रह न पाओगे मेरी यादों के बिना।

सताएंगी हर पल मेरी यादें तुझको,
आँखें बंद होंगी न तेरी, मेरी यादों के बिना,
खुली पलकों में समा जाऊंगा मैं,
तन्हा लम्हों में चुपके से छू जाऊंगा मैं,
जिन्दगी विरान सी तेरी, मेरी यादों के बिना।

संवारोगे जब भी तुम खुद को,
लगाओगे जब भी इन हाथों में हिना,
याद आऊँगा मैं ही तुमको,
देखोगे जब भी तुम कही आईना,
निखरेगी ना सूरत तेरी, मेरी यादों के बिना।

गीत बनकर होठों पर गुनगुनाऊंगा मैं,
तेरी काजल में समा जाऊंगा मैं,
संभालोगे जब भी आँचल को सनम,
चंपई रंग बन बिखर जाऊँगा मैं,
सँवरेंगी न सीरत तेरी, मेरी बातों के बिना।

हमदम हूँ मैं ही तेरी तन्हाई का,
तेरे सूने पलों को यादों से सजाऊंगा मैं,
भूला न पाओगे तुम मुझको कभी,
खुश्बू बनकर तेरी सांसों मे समा जाऊंगा मैं,
तन्हाई न कटेगी तेरी, मेरी यादों के बिना।

इक अमिट याद हूँ मैं, रह न पाओगे मेरी यादों के बिना।

No comments:

Post a Comment