दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
इक पथ संग-संग, साथ चले थे वो पल,
मन को जैसे, बांध चले थे वो पल,
बस हाथों मे कब, कैद हुए हैं वो पल,
वो आकर्षण, मन-मानस में बस जाते हैं!
सघन वन में, ये खींच लिए जाते हैं....
दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
सम्मोहन था, या कोई जादू था उस पल,
मन कितना, बेकाबू था उस पल,
जाम कई, प्यालों से छलके उस पल,
सारा जाम, कहाँ बूँद-बूँद हम पी पाते हैं!
प्यासे है जो, प्यासे ही रह जाते हैं....
दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
अब नजरों से, ओझल हुए है वो पल,
कुछ बोझिल, कर गए हैं वो पल,
आगे हूँ मैं, पथ में ही छूटे हैं वो पल,
बहते धार, वापस हाथों में कब आते हैं!
कुछ मेरा ही, मुझमें से ले जाते है.....
दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
इक पथ संग-संग, साथ चले थे वो पल,
मन को जैसे, बांध चले थे वो पल,
बस हाथों मे कब, कैद हुए हैं वो पल,
वो आकर्षण, मन-मानस में बस जाते हैं!
सघन वन में, ये खींच लिए जाते हैं....
दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
सम्मोहन था, या कोई जादू था उस पल,
मन कितना, बेकाबू था उस पल,
जाम कई, प्यालों से छलके उस पल,
सारा जाम, कहाँ बूँद-बूँद हम पी पाते हैं!
प्यासे है जो, प्यासे ही रह जाते हैं....
दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
अब नजरों से, ओझल हुए है वो पल,
कुछ बोझिल, कर गए हैं वो पल,
आगे हूँ मैं, पथ में ही छूटे हैं वो पल,
बहते धार, वापस हाथों में कब आते हैं!
कुछ मेरा ही, मुझमें से ले जाते है.....
दामन में कब आते हैं!
पथ के आकर्षण,
पीछे पथ में ही रह जाते हैं .....
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