Sunday 2 August 2020

एक धारा

दो बूँद बनकर, आँखों में उतरे,
मन की, सँकरी गली से, वो जब भी गुजरे!

वो, भिगोते थे, कभी बारिशों में,
लरजते थे, कभी सुर्ख फूलों पे हँस कर,
यूँ, सिमट आते थे, दबे पाँव चलकर,
अब वो मिले, दो बूँद बनकर,
और, नैनों में उतरे!
यूँ मन की गली से, वो गुजरे!

दो बूँद बनकर, आँखों में उतरे.......

यूँ अनवरत, बहती है, एक धारा,
यूँ, लगता है हर-पल, ज्यूँ तुम ने पुकारा,
डूबी सी साहिल, का है इक किनारा,
थोड़ा तुम्हारा, थोड़ा हमारा,
और, हम हैं ठहरे!
यूँ मन की गली से, वो गुजरे!

दो बूँद बनकर, आँखों में उतरे......

यूँ भी, छलक ही जाते हैं, प्याले,
अक्सर, टूटते भी हैं, छलकते-छलकते,
वो, दो बूँद तो, हैं बस तेरी यादों के,
उलझती सी, जज्बातों के,
और, हैं ये पहरे!
यूँ मन की गली से, वो गुजरे!

दो बूँद बनकर, आँखों में उतरे,
मन की, सँकरी गली से, वो जब भी गुजरे!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

15 comments:


  1. यूँ अनवरत, बहती है, एक धारा,
    यूँ, लगता है हर-पल, ज्यूँ तुम ने पुकारा,
    डूबी सी साहिल, का है इक किनारा,
    थोड़ा तुम्हारा, थोड़ा हमारा,
    और, हम हैं ठहरे!
    यूँ मन की गली से, वो गुजरे! बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 04 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (04-08-2020) को   "अयोध्या जा पायेंगे तो श्रीरामचरितमानस का पाठ करें"  (चर्चा अंक-3783)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  4. यूँ भी, छलक ही जाते हैं, प्याले,
    अक्सर, टूटते भी हैं, छलकते-छलकते,
    वो, दो बूँद तो, हैं बस तेरी यादों के,
    उलझती सी, जज्बातों के,
    और, हैं ये पहरे!
    यूँ मन की गली से, वो गुजरे
    वाह ! यादों की गलियों से किसी के गुजरने की व्यथा -कथा और आपकी शैली विशेष में सुंदर रचना ! हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई पुरुषोत्तम जी | सादर

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  5. वाह!पुरुषोत्तम जी ,क्या बात है!!बहुत खूबसूरत भाव लिए ,स़ुदर सृजन ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद व आभार शुभा महोदया

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  6. सुंदर प्रस्तुति.

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