बिखेर गई, हवाओं में अनगिनत तरंग,
उठा, मृत-मन में, उन्माद सा,
जागी, तन में, इक सिहरन,
जागे, मृत-प्राण,
इक, नव-जीवन का उन्वान!
जीवन, ज्यूं विहीन पंख,
हर ओर धुआं, विलीन राहें, मन-मलंग,
इक गुंजन का, विस्तार उठा,
पंख लिए, ये प्राण उठा,
इक, नव-विहान,
चहकी पवन, चहका प्राण!
मृत सी, लगती वो शंख,
पर सिमेटे, विस्तृत, विविध, रंग-उमंग,
अन्तस्थ, अनंत जीवन-शय,
अन्तः, गाता इक हृदय,
जागा, इक प्राण,
सोए, हर मन का विहान!
कुछ हम गूंजे, शंख सा,
तुम दो, खाली पन्नों को, इक रंग सा,
भर दो, वादी में इक लय,
सुने क्षण में इक सुर,
वाणी में, तान,
नव-आशा का, उत्थान!
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