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Tuesday 20 December 2022

गर फिर ना मिलूं

गर, फिर ना दिखूं मैं, नजर में दूर तक!

गर, चल ना सकूं मैं, सफर में दूर तक!
थक कर चूर हो जाऊं,
हमेशा के लिए, तुमसे दूर हो जाऊं,
जारी, तुम सफर रखना,
कहीं, मेरी खातिर, तुम न रुकना,
सफर के, आखिरी छोर तक,
लक्ष्य साधे,
रुकना वहीं, उस भोर तक,
वहीं, इक सांस भरना,
विश्राम करना!
तभी आराम, मुझको भी मिल सकेगा!
बस, वहीं तब!

अगर, रह ना सकूं मैं सफर में संग तेरे!
सांसें, विवश कर जाएं,
ये बहारें, लौट कर फिर से न आएं,
ये दामन, तुम ना भिगोना,
क्रूर नियति, अपनी चालें चलेगा,
रफ़्तार, थोड़ी कम ना करेगा,
राह पूछते,
चले आना, उस छोर तक,
सिमटना उसी राख में,
विश्राम करना!
तभी आराम, मुझको भी मिल सकेगा!
बस, वहीं तब!

गर, फिर ना दिखूं मैं, नजर में दूर तक!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)