Showing posts with label लड़का. Show all posts
Showing posts with label लड़का. Show all posts

Tuesday, 5 April 2016

मैं मेरे जैसा

मैं कहता हूँ, देवी जी, थोड़ा मुझको मेरे जैसा तो रहने दो?

पत्नी देवी ताने देती मुझको रोज-रोज ही.......
कवर फिसल जाती है जब सोफे पे बैठो तो,
चादर मुड़ जाती है जब बिस्तर पे लेटो तो,
बस पूछो मत, बिगर जाती है तकिए की हालत तो...

मैं कहता हूँ, देवी जी, थोड़ा मुझको मेरे जैसा तो रहने दो?

गिन-गिन कर ताना देती फिर आदतों पर......
बिस्तर पर ही रख छोड़ेंगे, गीले तौलिए को,
कपड़े गंदे कर ही लेंगे जब खाना खाए तो,
लेटे-लेटे ही बस फरमाएंगे, ए जी चाय पिलाओ तो...

मैं कहता हूँ, देवी जी, थोड़ा मुझको मेरे जैसा तो रहने दो?

छोटी-छोटी आदतें भी देवी जी को खलती.......
अपनी ही धुन के पक्के होते, जब देखो तो,
दिन भर बस पलंग तोड़ते, गर छुट्टी हो तो,
शर्ट-पैंट कहीं पर रखकर पूछेंगे, जरा सा देखो तो....

मैं कहता हूँ, देवी जी, थोड़ा मुझको मेरे जैसा तो रहने दो?

बदला कहाँ मैं अब भी पहले ही जैैसा हूँ,
लड़कपन थी पहले मैं अब भी वो ही लड़का हूँ.,
पत्नी की उलझनों, मुश्किलों से मैं मुह फेरे बैठा हूँ,
समझा ही नही कि वो लड़की है और मैं भी लड़की का पिता हूँ...,

सोचता हूँ क्युँ कहता हूँ थोड़ा मुझको मेरे जैसा तो रहने दो?